About Kunjbihari Chaubey

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Kunjbihari Chaubey

एक संक्षिप्त परिचय .....

क्रांतिकारी व्यक्तित्व कुंजबिहारी चौबे जी

वर्तमान में नादगांव के वार्ड नं 01 में 15 जुलाई 1916 को जन्में श्री कुंजबिहारी चौबे जी बचपन से ही अँग्रेजी के प्रति नफरत के भाव से प्रेरित थे यही कारण हैं की स्थानीय स्टेट हाई स्कूल में शिक्षा प्राप्त करते हुए युनियन जैक ( अंग्रेजी राज ) का झंडा उतार देने के कारण उन्हे न केवल बैत से मार खाने की सजा मिली अपितु स्कूल से भी बेदखल कर दिया गया था ।

विद्रोही कवि के नाम से विख्यात श्री कुंजबिहारी चौबे प्रतिभाशाली छात्र थें उन्होने 16 वर्ष की उम्र में कविताएं लिखना प्रारंभ कर दिया था, जेल में रहकर भी उन्होने काव्य की रचना की, उनके काव्य की भाषा छत्तीसगढ़ थी, वे भारत की पराधिनता से सदा दुखी रहते क्षेत्र प्रगतिशील विचारधारा उनमें कूट-कूटकर भरी हुई थी. सामाजिक विषमता के प्रति उनके मन में अत्यन्त ही घृणा थी, फलतः विद्रोह के स्वर मे उनकी कविता मुखरित हुई और किसान और शोषितों के सच्चे हिमायती बन गए . ओज उनकी कविता का मूल गुण रहा हैं 27 वर्ष की अल्पायु में छत्तीसगढ़ी कविता में अपना अक्षय छाप छोडकर इस दुनिया से चले गए .

उनकी "चल-चल रे किसान" , "बियासी के नागर" आदि कविता को काफी सराहा गया अन्य कविताएं भी लोकप्रिय हुईं ।

जन्म दिनांक 15 जुलाई 1916 - मृत्यु 05 जनवरी 1944